26 फ़रवरी 2013

रत्न संवारे सौन्दर्य व स्वास्थ्य

मानव जीवन में रत्न की उपयोगिता सिर्फ भाग्य को संवारने के लिए ही नही हैं, बल्कि आधुनिक वैज्ञानिक युग में रत्नों का उपयोग स्वास्थ्य और सौन्दर्य को निखारने के लिए ही किया जा रहा है। कहते हैं अपने समय में सौन्दर्य की बेताज मल्लिका क्लियोपेट्रा अपने सौन्दर्य में निखार लाने के लिए शुद्ध मोती रत्न को दूध मिश्रित पानी में कुछ घण्टों के लिए डाल देती बाद में पीने के लिए उसी पानी का प्रयोग किया करती।
यह सच है कि रत्न जडि़त आभूषण पुरूषों के साथ महिलाओं के सौन्दर्य में तो चार चाॅद लगाते ही है, इसके अलावा ये रत्न मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में भी इजाफा करते हैं। विज्ञान की कसौटी में रत्न की उपयोगिता साबित हो चुकी है। क्रिस्टल थेरैपी, रत्न चिकित्सा (जेम थेरेपी), रत्न विज्ञान (जेमोलाॅजी) का लाभ आज तमाम लोग ले रहे है। मेडिकल एस्ट्रोलाॅजी के अनुसार रत्नों के माध्यम से मनुष्य की विभिन्न बिमारियों को दूर भगाया जा सकता है। ब्रह्माण्ड में विचरण करने वाले ग्रहों से आने वाली विभिन्न प्रकाश किरणों को ये रत्न अपने अन्दर जज्ब कर लेते हैं। कुछ खास रत्न ग्रहों की प्रकाश रश्मियों को अपने हिसाब से नियंत्रित करते है। मेडिकल साइंस के अनुसार ग्रहों कमी प्रकाश रश्मियाॅ मानव के शरीर और मन पर प्रतिकूल प्रभाव को अनुकूल करके अनेक बिमारियों के इलाज में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। असली शुद्ध रत्न अल्फा, बीटा, गामा किरणों की तरह कंपन किरणें (रंेज आफ वाइब्रेशन) उत्सर्जित करते है।
इतना ही नहीं प्रत्येक रत्न का एक चुम्बकीय क्षेत्र भी होता है। कंपन किरणों का रंग और उनका चुम्बकीय क्षेत्र अनेक रोगों के इलाज मे काफी फायदा पहुॅचातें है। शायद इसी लिए ज्योतिष शास्त्र ने रत्नों के सटीक लाभ के लिए विधि-विधान पूर्वक धारण करने का कठोर नियम बनाया है। उपचारात्मक ज्योतिषशास्त्र (रिमेडीयल एस्ट्रोलाॅजी) नियम के अन्तर्गत रत्नों को धारण करने के अलग-अलग नियम और समय बताये गये है। सम्यक नियम और समय अनुसार विधि पूर्वक धारण करने पर ही रत्नों का वास्तविक लाभ प्राप्त होता है।
वाराणसी के सिगरा निवासी प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डा0 अनुप कुमार जायसवाल की माने तो इस धरती पर रहने वाले प्रत्येक मनुष्य की राशि के हिसाब रत्न को धारण करने की बात ज्योतिष शास्त्र में कहीं गयी है। ज्योतिष के अनुसार - मेष राशि वालों के लिए मूंगा, वृष राशि वालों के लिए हीरा, मिथुन राशि वालों के लिए पन्ना, कर्क राशि के लिए हीरा, वृश्चिक राशि के लिए मंूगा, धनु राशि के लिए पुखराज, मकर और कुम्भ राशि के लिए नीलम, मीन राशि वालों के लिए पुखराज धारण करने का विधान है। रत्न धारण करने से पूर्व रत्नों को अच्छी तरह से जाॅच परख लेना चाहिए। यदि किसी रत्न के अन्दर लाल रंग का धब्बा (ब्लड स्पाॅट) दिखाई पड़े तो उस रत्न को धारण नहीं करना चाहिए। रत्न को रात्रि में भी नहीं धारण करना चाहिए। रत्न जितना ही ज्यादा वजन और शुद्ध गुणवत्ता वाला होगा उसका प्रभाव भी उतना ही बेहतर और ज्यादा लाभदायक होगा। रत्नों को अंगुली में धारण करना श्रेयकर होता है। यदि कोई जातक इन्हें गले में या शरीर के किसी अन्य भाग में धारण करना चाहता है तो उसका उतना प्रभाव या लाभ नही मिलता जितना की अंगुली में धारण करने से मिलता है। कुल मिलाकर वर्तमान समय में बड़े पैमाने पर महिलाओं के साथ तमाम पुरूष भी रत्नों के माध्यम से न सिर्फ अपने बिगड़े ग्रह दशा को ठीक कर रहे है बल्कि इनसे अपने सौन्दर्य और स्वास्थ्य में भी इजाफा कर रहें है। वैसे रत्न हर प्रकार से मनुष्यों को लाभ पहुॅचाते है।

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